Civil Engineer Kya Hota Hai? और कैसे बने ,यहाँ से जाने सम्पूर्ण जानकारी
Civil Engineer Kya Hota Hai?
यदि आप नौजवान या अधेड़ उम्र के व्यक्ति हैं तो आपने Civil Engineer नामक यह शब्द अवश्य सुना होगा । वह इसलिए क्योंकि जब कहीं पर Carrier के माध्यम से कमाई करने की बात हुई होगी तो इसका भी नाम अवश्य आया होगा। आम तौर पर जब भी किसी बच्चे से कुछ बनने के बारे में पूछा जाता है तो उनके मुहँ से अधिकतर केवल दो ही नाम Doctor , या Engineer निकलते हैं।
और अधिकतर माता पिता जब अपने बच्चों के सुनहरे भविष्य की कल्पना करते हैं तो उस कल्पना में भी वे अपने बच्चों को डॉक्टर या इंजीनियर में से कुछ बनाना चाहते हैं।
यद्यपि Engineer कामकाज एवं विशेषता के आधार पर सिविल इंजीनियर के अलावा और भी कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे केमिकल इंजीनियर, एयरोस्पेस इंजीनियर, इलेक्ट्रिकल इंजीनियर, मैकेनिकल इंजीनियर इत्यादि । लेकिन इस लेख के माध्यम से आज हम सिर्फ Civil Engineer कैसे बनते हैं? के बारे में विस्तार से बात करेंगे। इससे पहले की हम इस विषय को आगे बढ़ाएं आइये जानते हैं की सिविल इंजीनियर होते कौन हैं।
CIVIL Engineer कौन होते हैं
Civil Engineer सबसे पुरानी इंजीनियरिंग विषयों में से एक विषय है आम तौर पर यह समाज के इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाये रखने सम्बन्धी विषय है। एक Civil Engineer को विभिन्न प्रकार के कंस्ट्रक्शन जैसे सड़कों, पुल, ईमारत एवं बांधों इत्यादि का सुरक्षित निर्माण, सञ्चालन एवं रखरखाव सुनिश्चित करना होता है ।
चूँकि एक Civil Engineer पर लोगों की सुरक्षा की दृष्टी से भी काफी जिम्मेदारियाँ होती हैं । इसलिए सिविल इंजीनियरिंग के लिए विशेष शैक्षणिक योग्यता एवं कौशल की आवश्यकता होती है। कहने का अभिप्राय यह है की Civil Engineer नामक यह एक ऐसा व्यवसाय है जिस पर भूमि का संरचनात्मक विकास एवं समाज का शहरीकरण करने की जिम्मेदारी होती है।
Civil Engineer की Duty
जहाँ तक Civil Engineer की ड्यूटी या जिम्मेदारियों की बात है वे कंपनी
या नियोक्ता के आधार पर अलग अलग हो सकते हैं। लेकिन एक Civil Engineer की कुछ मुख्य कामों की लिस्ट इस प्रकार से है।
- किसी Construction Site पर Contractor, शिल्पकारों एवं उनके सहायकों के लिए मुख्य तकनीकी सलाहकार के तौर पर कार्य करना।
- Construction Site को स्थापित करना, लेवलिंग करना एवं उसका सर्वेक्षण करना।
- Calculation सही है या नहीं की जाँच के लिए योजनाओं, रेखाचित्रों एवं सामग्री की मात्रा की जाँच करना।
- एक Civil Engineer की यह भी Duty होती है की वह यह भी सुनिश्चित करे की उपयोग की जाने वाली सभी सामग्री एवं काम निर्धारित विनिर्देशों के मुताबिक ही होने चाहिए।
- Site पर उपलब्ध प्लांट एवं आवश्यक सामग्री का चयन एवं देखरेख करना।
- परियोजना में लगने वाली सामग्री की कीमत पर सहमती या असहमति देना और परियोजना के लिए लागत प्रभावी प्रपोजल तैयार करना ।
- आर्किटेक्ट या Client द्वारा प्रदान किये गए Contract Design के दस्तावेजों का प्रबंधन, निगरानी एवं व्याख्या करना।
- एक Civil Engineer को परियोजना में शामिल किसी भी कंसलटेंट, उपठेकेदार, सुपरवाइजर, प्लानर, मात्रा पर्यवेक्षक या सामान्य मजदूरों से संपर्क करना पड़ सकता है ।
- स्थानीय निर्माण नियमों एवं उप कानूनों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय प्राधिकरण इत्यादि से संपर्क करना।
- क्लाइंट एवं क्लाइंट के प्रतिनिधि जैसे आर्किटेक्ट, Engineer , सर्वेयर इत्यादि के साथ संपर्क करना और काम कहाँ तक पहुँचा इत्यादि की सूचना देने के लिए नियमित बैठकों में शामिल होना।
- कार्य की योजना बनाना और सहमत समय सीमा को पूरा करने के लिए प्लांट और साइट सुविधाओं को कुशलतापूर्वक व्यवस्थित करना।
- Site पर गुणवत्ता नियंत्रण और स्वास्थ्य एवं सुरक्षा मामलों की देखरेख करना।
- ऐसी अप्रत्याशित तकनिकी कठिनाइयाँ एवं समस्याएं जो उत्पन्न होती हैं का निराकरण ढूंढना ।
Civil Engineer बनने के लिए Eligibility Criteria
Civil Engineer बनने के इच्छुक उम्मीदवार के पास Civil Engineering का Diploma या फिर कोई Degree अवश्य होनी चाहिए। और इस प्रकार के ये Course आम तौर पर 12th Science Section से पास करके किये जा सकते हैं । लेकिन कुछ Diploma Course ऐसे भी होते हैं जिन्हें उम्मीदवार 10th पास करके Join कर सकता है। Civil Engineer बनने के लिए कुछ प्रमुख पात्रता मापदंड इस प्रकार से हैं
- उम्मीदवार को 10+2 (PCM) यानिकी Physics, Chemistry and Math के साथ कुछ निर्धारित प्रतिशत के साथ पास करना जरुरी है। तभी उम्मीदवार Civil Engineering Course में Admission के लिए आयोजित Entrance Exam दे पायेगा। या उसे तभी किसीEngineering College में Admission मिल पायेगा।
- इस प्रकार के कोर्स में Admission के लिए विभिन्न प्रकार केEntrance Exam जैसे IITJEE, AIEEE, BITSAT इत्यादि राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर आयोजित किये जाते हैं। इसलिए उम्मीदवार को एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने की आवश्यकता हो सकती है।
- M. Tech में Admission के लिए उम्मीदवार को GATE Qualify करने की आवश्यकता हो सकती है।
- Junior Engineer (JE) बनने के लिए कुछ Diploma Course 10th के बाद भी Join किये जा सकते हैं ।
Civil Engineer बनने के लिए Course
Civil Engineer बनने के लिए भी भारत में तीन प्रकार के course Degree, Diploma and Certificate उपलब्ध हैं। इनके बारे में संक्षिप्त जानकारी निम्नवत है।
1. Degree Course for Civil Engineering
आम तौर पर Civil Engineer में इस तरह के Course अर्थात Degree एवं Post Graduate कोर्स बड़े बड़े Engineering College एवं IIT’s द्वारा Offer किये जाते हैं। हालांकि इनकी List बहुत लम्बी हो सकती है लेकिन हम यहाँ पर कुछ ही Degree एवं P.G कोर्स की लिस्ट दे रहे हैं।
- Bachelor Of Engineering in Civil Engineering
- Bachelor Of Technology In Civil Engineering
- Master Of Engineering in Civil Engineering
- M.Tech in Civil Engineering
- Ph. D in Civil Engineering
2. Diploma Courses For Civil Engineering
Civil Engineering में आम तौर पर Diploma Course Polytechnic College द्वारा Offer किये जाते हैं। इनमें कुछ ऐसे भी कोर्स होते हैं जिन्हें 10th के बाद भी Join किया जा सकता है ऐसे कोर्स करके व्यक्ति आम तौर पर JE या उनके सहायक के तौर पर भी कार्य कर सकता है।
- Diploma In Civil Engineering
- एडवांस डिप्लोमा इन Civil Engineering
- डिप्लोमा इन सिविल एंड Rural Engineering
- पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन Civil Engineering
इसके अलावा कुछ ऐसे संस्थान भी हैं जो कार्यरत लोगों को सर्टिफिकेट कोर्स ऑफर करते हैं।
Civil Engineer कैसे बनें
जहाँ तक भारतवर्ष में Civil Engineer बनने का सवाल है अक्सर लोग यह जानने के उत्सुक रहते हैं की वे दसवीं के बाद सिविल इंजीनियर कैसे बन सकते हैं। वहीँ कुछ लोग बारहवीं के बाद सिविल इंजीनियर बनना चाहते हैं इसलिए आगे इस लेख में हम दसवीं के बाद एवं बारहवीं के बाद सिविल इंजीनियर कैसे बनें? के बारे में जानने की कोशिश करते हैं।
10th के बाद Civil Engineer बनने की प्रक्रिया
ऐसे लोग जो दसवीं के बाद Civil Engineer बनना चाहते हैं उन्हें दसवीं के बाद कोई डिप्लोमा कोर्स ज्वाइन करना होगा।
स्टेप 1
दसवीं कक्षा पास करने के बाद इच्छुक उम्मीदवार को राज्य सरकार के तकनिकी शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित एंट्रेंस एग्जाम क्लियर करने की आवश्यकता हो सकती है। जिससे की उम्मीदवार का चयन राज्य के किसी डिप्लोमा कॉलेज में एडमिशन के लिए हो सके। कुछ डिप्लोमा कॉलेज एंट्रेंस एग्जाम में आई रैंक के आधार पर एडमिशन देते हैं, तो वहीँ कुछ ऐसे पॉलिटेक्निक कॉलेज भी होते हैं। जो उम्मीदवार द्वारा दसवीं में प्राप्त अंकों के आधार पर भी एडमिशन देते हैं।
स्टेप 2
कॉलेज में एडमिशन मिलने के बाद उम्मीदवार को डिप्लोमा इन सिविल इंजीनियरिंग नामक कोर्स पूरा करना होता है इस कोर्स की अवधि तीन सालों की होती है। इस कोर्स को पूरा कर लेने के बाद उम्मीदवार चाहे तो Civil Engineer बनने के लिए डिग्री कोर्स पूरा कर सकता है या फिर चाहे तो कहीं जूनियर इंजीनियर के तौर पर कार्यरत भी हो सकता है । हालांकि केवल डिप्लोमा कोर्स कर लेने के बाद उम्मीदवार पूरी तरह Civil Engineer नहीं बन पायेगा इसलिए नौकरी के दौरान उसके पास एक और विकल्प रहता है।
की वह अपनी आगे की पढाई AMIE ( Associate Membership of Institjution of Engineers) के माध्यम से पूरी कर सकता है। यह डिप्लोमा होल्डर्स के लिए इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त करने का एक वैकल्पिक तरीका है ।
AMIE से सिविल इंजीनियर की डिग्री प्राप्त कर लेने के बाद उम्मीदवार को नौकरी इत्यादि में उतने ही अवसर प्राप्त होते हैं जितने किसी B.E., B. Tech. ग्रेजुएट को । कम से कम सात सालों का काम का अनुभव लेने के बाद व्यक्ति स्वयं को इंजीनियरिंग काउंसिल ऑफ़ इंडिया में Professional Civil Engineer के तौर पर पंजीकृत कर सकता है ।
12th के बाद Civil Engineer कैसे बनें?
बारहवीं के बाद Civil Engineer बनने के लिए आपको दसवीं से ही तैयारी करनी होती है अर्थात दसवीं पास कर लेने के बाद आपको साइंस सेक्शन का चुनाव करके अपने विषयों में फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ एवं इंग्लिश का चुनाव करना होता है। इसके अलावा उम्मीदवार को अधिक से अधिक अंकों के साथ बारहवीं पास करने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि हो सकता है किसी इंजीनियरिंग कॉलेज ने कम से कम प्राप्त अंकों का एक निश्चित प्रतिशत निर्धारित किया हो।
स्टेप 1
PCM विषयों के साथ बारहवीं पास कर लेने के बाद Civil Engineer बनने के इच्छुक उम्मीदवार को इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट जैसे JEE इत्यादि जिन्हें विभिन्न इंजीनियरिंग कॉलेज एवं IIT,s द्वारा B.E./B. Tech. में एडमिशन के लिए आयोजित किया जाता है । को पास करने की आवश्यकता हो सकती है। उसके बाद इन संस्थानों द्वारा उम्मीदवार की रूचि एवं एंट्रेंस टेस्ट में आई मेरिट के आधार पर एडमिशन दिया जाता है।
स्टेप 2
इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन मिलने के बाद उम्मीदवार को यह चार सालों का डिग्री प्रोग्राम पूरा करना होता है । इस डिग्री पाठ्यक्रम के सफलतापूर्वक पूर्ण होने के बाद उम्मीदवार को इंटर्नशिप पूरी करनी होती है। इंटर्नशिप पूर्ण कर लेने के बाद उम्मीदवार किसी भी सेक्टर चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट में असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर कार्य कर सकता है ।
और सात सालों का अनुभव प्राप्त कर लेने के बाद खुद को इंजीनियरिंग काउंसिल ऑफ़ इंडिया में Professional Civil Engineer के तौर पर पंजीकृत कर सकते हैं। इसके अलावा ऐसे इंजीनियर जो रिसर्च एवं पढ़ाने के क्षेत्र में कैरियर बनाना चाहते हैं वे अपनी पढाई को आगे जारी रखते हुए M.E./M. Tech., PhD इत्यादि कर सकते हैं।
Civil Engineer की कमाई
प्राइवेट सेक्टर में सिविल इंजीनियर शुरूआती दौर में 25-30 हजार रूपये प्रति महीने का वेतन पा सकते हैं जो काम का अनुभव प्राप्त कर लेने के बाद 1 लाख रूपये प्रति महीने या इससे भी कहीं अधिक हो सकती है। एक Civil Engineer चाहे तो खुद बिना किसी नौकरी के भी काम कर सकता है अर्थात खुद का बिजनेस स्थापित कर सकता है।
इस दौरान वह व्यक्तिगत तौर पर भी अपनी क्षमता के अनुरूप इंफ्रास्ट्रक्चरल प्रोजेक्ट हैंडल कर सकता है। लेकिन उचित यही रहता है की पहले उम्मीदवार अनुभव प्राप्त कर ले उसके बाद खुद का बिजनेस स्थापित करे। पब्लिक सेक्टर में एक Civil Engineer को सब डिविजनल ऑफिसर एवं असिस्टेंट इंजीनियर के तौर पर भी कार्यरत किया जा सकता है जो बाद में पदोन्नति के साथ चीफ इंजीनियर तक बन सकता है।
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